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Vinod Sonkar
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योजनाएं

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राष्ट्रीय योजना

उज्वल डिस्कॉम असुरन्स योजना

उज्वल डिस्कॉम असुरन्स योजना

उदय - उज्जवल डिस्कॉम एश्योरेंस अथवा यूडीएवाई योजना

परिचय

बिजली मंत्रालय द्वारा नई योजना उज्‍जवल डिस्‍कॉम एश्‍योरेंस योजना या उदय नाम से प्रारंभ की गई है। बिजली, कोयला और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय हर भारतीय का जीवन रोशनी से जगमग करके उज्जवल भारत बनानें पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उज्जवल भारत का उद्देश्य सभी को 24x7 बिजली प्रदान करना है। आप कोयला, बिजली और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ईंधन, बिजली उत्पादन, संचरण, वितरण, बिजली की खपत से संबंधित जानकारी प्रदान की गयी है। उज्जवल भारत मिशन और उपलब्धियों का विवरण प्रदान किया गया है।

उदय का लक्ष्‍य बिजली वितरण कंपनियों (डिस्‍कॉम) का वित्‍तीय सुधार एवं उनका पुनरूत्‍थान करना और समस्‍या का एक टिकाऊ और स्‍थायी समाधान भी सुनिश्चित करना है। उदय माननीय प्रधानमंत्री के सभी लोगों के लिए 24 घंटे किफायती एवं सुविधाजनक बिजली सुनिश्चित करने के स्‍वप्‍न को साकार करने की दिशा में एक पथप्रदर्शक सुधार है। पिछले डेढ़ वर्षों के दौरान, जब बिजली क्षेत्र ने ईंधन आपूर्ति (दो दशकों में सर्वाधिक कोल उत्‍पादन) से लेकर उत्‍पादन (अब तक का सबसे अधिक क्षमता संवर्धन) पारेषण (पारेषण लाइनों में अब तक की सबसे अधिक वृद्धि) और उपभोग (2.3 करोड़ से अधिक एलईडी बल्‍ब वितरित किए गए) तक समस्‍त मूल्‍य श्रृंखला में ऐतिहासिक बेहतरी दर्ज कराई है, यह बिजली क्षेत्र की स्थिति को और अधिक बेहतर बनाने की दिशा में एक अन्‍य निर्णायक कदम है।

भूमिका

पिछले डेढ़ वर्षों के दौरान, जब बिजली क्षेत्र ने ईंधन आपूर्ति (दो दशकों में सर्वाधिक कोल उत्‍पादन) से लेकर उत्‍पादन (अब तक का सबसे अधिक क्षमता संवर्धन) पारेषण (पारेषण लाइनों में अब तक की सबसे अधिक वृद्धि) और उपभोग (2.3 करोड़ से अधिक एलईडी बल्‍ब वितरित किए गए) तक समस्‍त मूल्‍य श्रृंखला में ऐतिहासिक बेहतरी दर्ज कराई है, यह बिजली क्षेत्र की स्थिति को और अधिक बेहतर बनाने की दिशा में एक अन्‍य निर्णायक कदम है।

मूल्‍य श्रृंखला में सबसे कमजोर कड़ी वितरण की रही है जहां देश भर की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्‍कॉमों) ने लगभग 3.8 लाख करोड़ रूपये का संचित नुकसान दर्ज कराया है और इस पर लगभग 4.3 लाख करोड़ रूपये का कर्ज (मार्च 2015 तक) बकाया है। वित्‍तीय बोझ की शिकार डिस्‍कॉम कंपनियां किफायती दरों पर पर्याप्‍त बिजली की आपूर्त‍ि करने में अक्षम हैं जो जीवन के स्‍तर को बाधित करती है तथा कुल मिलाकर आर्थिक प्रगति एवं विकास को प्रभावित करती है। विरासत में प्राप्‍त मुद्दों  के कारण, डिस्‍कॉम कंपनियां नुकसानों के दुष्‍चक्र में फंसी हुई है जिसमें संचालनगत नुकसानों का वित्‍तपोषण कर्ज द्वारा किया जाता है। डिस्‍कॉम कंपनियों का बकाया कर्ज 2011-12 के लगभग 2.4 लाख करोड रूपये से बढकर 2014-15 के दौरान 14-15 फीसदी ब्‍याज दर के साथ 4.3 लाख करोड् रूपये तक पहुंच गया है।

देश के सभी गांवों में विद्य़ुतीकरण, 24 घंटे बिजली आपूर्ति एवं स्‍वच्‍छ उर्जा बिना अच्‍छा प्रदर्शन करने वाली डिस्‍कॉम कंपनियों के सहयोग के अर्जित नहीं की जा सकती। बिजली कटौतियां ‘मेक इन इंडिया’ एवं ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी राष्‍ट्रीय प्राथमिकताओं पर प्रतिकूल असर डालती हैं। इसके अतिरिक्‍त, वित्‍तीय दबावों की शिकार डिस्‍कॉम कंपनियों द्वारा बैंक कर्ज में किए जाने वाले डिफॉल्‍ट से बैंकिंग क्षेत्र एवं कुल मिलाकर देश की अर्थव्‍यवस्‍था को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचने की आशंका है। उदय अतीत तथा भविष्‍य की संभावित समस्‍याओं के स्‍थायी समाधान के जरिये एक गतिशील एवं कारगर डिस्‍कॉम के उदभव का भरोसा दिलाती है। यह डिस्‍कॉम कंपनियों को अगले दो से तीन वर्ष में नुकसान से उबरने का अवसर पाने के लिए अधिकारसंपन्‍न करती है।

कार्यक्रम का लक्ष्‍य

बिजली वितरण कंपनियों (डिस्‍कॉम) का वित्‍तीय सुधार एवं उनका पुनरूत्‍थान करना और समस्‍या का एक टिकाऊ और स्‍थायी समाधान भी सुनिश्चित करना है।

मुख्य पहल

उदय योजना के तहत बिजली वितरण कंपनियों को आगामी दो-तीन वर्षों में उबारने हेतु निम्नलिखित चार पहलें अपनायी जाएंगी।

1. बिजली वितरण कंपनियों की परिचालन क्षमता में सुधार।

2. बिजली की लागत में कमी।

3. वितरण कंपनियों की ब्याज लागत में कमी।

4. राज्य वित्त के साथ समन्वय के माध्यम से वितरण कंपनियों पर वित्तीय अनुशासन लागू करना।

कार्यक्रम के फायदे

  • 24X7 सब के लिए बिजली
  • सभी गाँवों के लिए विद्युतीकरण
  • सक्षम उर्जा सुरक्षा
  • रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए बिजली क्षेत्र में निवेश को पुनर्जीवित करनालगभग सभी दिस्कोम्स को 2-3 साल में लाभदायक स्थिति में लाना|
  • उदय दक्षता में सुधर कर वार्षिक 1.8 लाख करोड़ की बचत करना|

उदय योजना की मुख्य विशेषताएं

  • 30 सितंबर, 2015 की स्थिति के अनुसार वितरण कंपनियों का 75% ऋण राज्यों द्वारा दो वर्षों में अधिग्रहीत किया जाएगा।
  • यह अधिग्रहण वर्ष 2015-16 में 50% और 2016-17 में 25% होगा।
  • भारत सरकार द्वारा 2015-16 और 2016-17 वित्तीय वर्ष में संबंधित राज्यों की राजकोषीय घाटे की गणना में उदय योजना के तहत राज्यों द्वारा अधिग्रहीत ऋण शामिल नहीं किया जाएगा।
  • राज्यों द्वारा उचित सीमा तक वितरण कंपनियों को ऋण प्रदान करने वाले बैंकों/वित्तीय संस्थाओं हेतु एसडीएल बांडों समेत गैर-एसएलआर जारी किया जाएगा।
  • गौरतलब है कि वितरण कंपनियों के जिन ऋणों का अधिग्रहण राज्य द्वारा नहीं किया जाएगा, उन्हें वित्तीय संस्थान/बैंक द्वारा ऋण अथवा बांड में परिवर्तित कर दिया जाएगा।
  • बैंक /वित्तीय संस्थान इस ऋण/बांड पर अपने आधार दर के साथ 0.1% (बेस रेट प्लस  01%) से अधिक ब्याज दर नहीं लगाया जाएगा।
  • वैकल्पिक रूप से उपर्युक्त ऋण वितरण कंपनियों द्वारा बाजार में प्रचलित दरों पर ‘स्टेट गारंटीड डिस्कॉम बांड्स के रूप में पूर्ण या आंशिक रूप से जारी किए जा सकते हैं।
  • ये बाजार प्रचलित दरें बैंक आधार दर के साथ 01% (बैंक बेस रेट प्लस  01%) के बराबर या कम होंगी।
  • उल्लेखनीय है कि राज्यों द्वारा वितरण कंपनियों को भविष्य में होने वाली हानि का श्रेणीबद्ध ढंग से अधिग्रहण किया जाएगा।
  • यह अधिग्रहण इस प्रकार होगा-वर्ष 2017-18 में 2016-17 की हानि का 5%, 2018-19 में 2017-18 की हानि का 10% और 2019-20 में 2018-19 की हानि का 25%।
  • केंद्रीय विद्युत मंत्रालय से विचार विमर्श के बाद निश्चित अवधि के भीतर राज्य वितरण कंपनियां 1 अप्रैल, 2012 के बाद से बकाया ‘नवीकरणीय खरीद बाध्य’ (आर पी ओ) का अनुपालन करेंगी।
  • गौरतलब है कि उदय योजना को स्वीकार करने वाले और परिचालन लक्ष्यों के अनुरूप प्रदर्शन करने वाले राज्यों को विविध योजनाओं के माध्यम से अतिरिक्त/प्राथमिक वित्तीयन प्रदान किया जाएगा।
  • इन योजनाओं में शामिल हैं-दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, समेकित बिजली विकास योजना, विद्युत क्षेत्र विकास कोष  अथवा विद्युत मंत्रालय और नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय की इसी तरह की अन्य योजनाएं।

ऐसे राज्यों को अधिसूचित कीमतों पर कोयला आपूर्ति और उच्च क्षमता उपयोग के माध्यम से उपलब्धता के संबंध में एनटीपीसी और अन्य केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से कम लागत की बिजली द्वारा सहयोग किया जाएगा।

योजना का भविष्य

अनिवार्य स्‍मार्ट मीटरिंग संचालनगत कुशलता, ट्रांसफार्मरों एवं मीटरों आदि का उन्‍नयन, कारगर एलईडी बल्‍ब, कृषि पंपों, पंखों एवं एयरकंडीशनरों आदि जैसे किफायती उर्जा से जुडे कदमों से औसत एटीएंडसी नुकसान लगभग 22 फीसदी से घटकर 15 फीसदी पर आ जाएगा और 2018-19 तक औसत राजस्‍व प्राप्ति (एआरआर) और आपूर्ति की औसत लागत (एसीएस) के बीच का अंतर समाप्‍त हो जाएगा।

बिजली की लागत में कमी को सस्‍ते घरेलू कोयले की बढी हुई आपूर्ति, कोल लिंकेज विवेकीकरण, निष्क्रिय से सक्रिय संयंत्रों तक उदार कोल विनिमय, जीसीवी (ग्रास कैलोरिफिेक), धुले तथा कुचले कोयले की आपूर्ति और पारेषण लाइनों की तेज गति से पूर्णता के आधार पर कोयले के मूल्‍य को युक्तिसंगत बनाने जैसे कदमों के जरिये बिजली की लागत में कमी हासिल की जा सकती है। केवल एनटीपीसी से ही घरेलू कोयले की उच्‍चतर आपूर्ति एवं विवेकीकरण तथा कोयले के विनिमय से 0.35 रूपये प्रति यूनिट की बचत होने की उम्‍मीद है जिसका लाभ डिस्‍कॉम कंपनियों एवं उपभोक्‍ताओं को दिया जाएगा।

डिस्‍कॉम कंपनियों की वित्‍तीय जबावदेहियां संबंधित राज्‍यों की आकस्मिक जबावदेहियां हैं और उन पर ऐसे ही रूप से विचार किए जाने की जरूरत है। डिस्‍कॉम कंपनियों के कर्ज वास्‍तव में राज्‍यों की उधारियां हैं जिन्‍हें सिद्धांत रूप में उधारी के रूप में नहीं गिना जाना चाहिए। बहरहाल, साख निर्धारण एजेंसियां एवं बहुपक्षीय एजेंसियां अपने मूल्‍यांकनों में इस वास्‍तविक कर्ज को लेकर काफी सचेत रहती हैं। उपरोक्‍त एवं 14वें वित्‍त्‍ आयोग के ऐसे ही अवलोकनों के अनुरूप राज्‍य 30 सितंबर 2015 तक दो वर्षों के डिस्‍कॉम कंपनियों के कर्ज के 75 फीसदी हिस्‍से का अधिग्रहण कर लेंगे। डिस्‍कॉम कंपनियों के कर्ज का 50 फीसदी हिस्‍सा 2015-16 में लिया जाएगा तथा 25 फीसदी हिस्‍सा 2016-17 में लिया जाएगा। यह राज्‍यों द्वारा लिए गए कर्ज पर ब्‍याज लागत को 14-15 फीसदी के उच्‍च स्‍तर से घटा कर 8-9 फीसदी पर ले आएगा, और इस प्रकार समग्र कुशलता में बढोतरी होगी। इसके अतिरिक्‍त, अगले तीन वर्षों के दौरान राज्‍यों पर वित्‍तीय बोझ का विस्‍तार करने का प्रावधान राज्‍यों को प्रारंभिक कुछ वर्षों के दौरान उनके उपलब्‍ध वित्‍तीय स्‍थान के भीतर, लिए गए कर्ज पर ब्‍याज अदायगी को प्रबंधित करने का लचीलापन देगा। डिस्‍कॉम कंपनियों के नुकसान की समस्‍या का स्‍थायी समाधान राज्‍यों द्वारा अधिग्रहित किए जाने एवं डिस्‍कॉम कंपनियों के भविष्‍य के नुकसान (अगर कोई है) के कम से कम 50 फीसदी को श्रेणीबद्ध तरीके से वित्‍तपोषित किए जाने के द्वारा हासिल किया जा सकता है।

उदय सहयोगी एवं प्रतिस्‍पर्धी संघवाद के सर्वश्रेष्‍ठ सिद्धांतों के उपयोग का एक चमकदार उदाहरण है और इसका निर्माण कई राज्‍यों के साथ उच्‍चतम स्‍तरों पर विचार विमर्शों के जरिये किया गया है। उदय को अपनाना राज्‍यों के लिए स्‍वैच्छिक है लेकिन यह सभी लोगों को 24 घंटे बिजली मुहैया कराने के लिए सबसे तेज, सर्वाधिक कारगर एवं वित्‍तीय रूप से सबसे व्‍यवहार्य तरीका प्रदान करता है। इसका संचालन बिजली मंत्रालय, राज्‍य सरकार एवं डिस्‍कॉम कंपनियों के बीच एक त्रि-पक्षीय समझौते के जरिये किया जाएगा।

उदय पूरे बिजली क्षेत्र में सुधार की प्रक्रिया में तेजी लाती है और यह सुनिश्चित करेगी कि बिजली सुविधाजनक, किफायती एवं सभी के लिए उपलब्‍ध है। उदय वास्‍तव में एक ‘पावर’ फुल भारत के उदय की घोषणा करती है।

यूडीएवाई योजना में शामिल राज्य

झारखंड सरकार ने यूडीएवाई योजना (उज्जवल डिस्कॉम आश्वासन योजना) में शामिल होने के लिए बिजली मंत्रालय को अपनी सैद्धांतिक मंजूरी भेज दी है। इस योजना से 30 सितंबर, 2015 की स्थिति के अनुसार राज्य दो वर्षों में डिस्कॉम का 75 प्रतिशत से अधिक का ऋण ले सकते हैं। यूडीएवाई के जरिए राज्य सरकारों को अपने ऋण का स्वैच्छा से पुनर्गठन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है।

उदय (उज्जवल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना) योजना में शामिल होने वाला गुजरात देश का दसवां राज्य बन गया है। इससे पहले आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, पंजाब और राजस्थान उदय स्कीम में शामिल हो चुके हैं।

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