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Vinod Sonkar
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राष्ट्रीय योजना

क्लीन माय कोच

क्लीन माय कोच

Aadhar Bill लोकसभा में आधार बिल 2016 पारित हो गया है। इस विधेयक के प्रावधानों के अमल में आने के बाद सरकार आधार नंबर के इस्तेमाल के जरिए बेहतर तरीके से लाभान्वितों की पहचान और सीधे उनके खाते में सब्सिडी की रकम पहुंचाने का काम कर पाएगी। केंन्द्र में पूर्ववर्ती सरकार भी आधार से संबधित विधेयक लेकर आई थी और आधार कार्ड के उपयोग का मामला सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक भी पहुंचा था। तब सरकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड को स्वैच्छिक रखे जाने और अनिवार्य नहीं रखने की बात कही गई थी। मौजूदा सरकार ने पुराने बिल से इतर, आधार विधेयक के प्रावधानों को पूरी तरह से स्पष्ट किया है। इस बिधेयक का मुख्य उद्देश्य ये सुनिश्चित करना है कि सरकारी सब्सिडी और योजनाओं का लाभ सही लोगों को ही मिले जिससे उसमें होने वाली लीकेज़ को रोका जा सके।
मौजूदा समय में देश के कुल वयस्कों में से 97 फीसदी के पास आधार कार्ड मौजूद है और हर महीने करीब 6 लाख लोगो को आधार कार्ड जारी किए जा रहे है। विधेयक पर हुई चर्चा में सदस्यों ने प्रावधानों को लेकर सवाल किए और प्राईवेसी का मुद्दा भी उठाया। वित्त मंत्री ने विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए सदस्यों की निजी सूचनाओं को साझा किए जाने संबधी चिंता का भी जबाब दिया। उधर राज्यसभा में भी दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बारे में स्थिति पूरी तरह साफ की।

182 दिनों पर मिलेगा आधार

अरुण जेटली ने कहा कि इस बिल के जरिए जरूरतमंदों को यूआईडी नंबर देकर कुछ सेवाओं के संपर्क में लाना है। यूआईडी नंबर हर उस व्यमक्ति को मिलेगा जो भारत में182 दिन रहेगा।
कितने व्यंस्कोंआ के पास आधार

देश में इस समय 97 प्रतिशत वयस्कों के पास आधार कार्ड है, जबकि 67 प्रतिशत नाबालिगों ने भी आधार कार्ड बनवा लिए हैं। जेटली ने बताया कि रोज पांच से सात लाख लोग आधार से जुड़ रहे हैं।

अब सुप्रीम कोर्ट में तय होगा आपकी पहचान का 'आधार'

भले ही केंद्र सरकार ने आधार बिल को लोकसभा में वित्त विधेयक के रूप में पास करवा लिया हो। पर इसकी असल अग्निपरीक्षा अभी सुप्रीम कोर्ट में होनी बाकी है। आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सरकार अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय के बाद ही यह तय हो पाएगा कि आधार कार्ड का वजूद क्या है। पढ़िए खास रिपोर्ट जिसमें आधार कार्ड के भूत से भविष्य तक की विस्तृत पड़ताल की गई है।
आधार योजना को संवैधानिक रूप देने के लिए केंद्र सरकार ने 11 मार्च, 2016 को लोकसभा में वित्त विधेयक के रूप में आधार बिल को पास करवा लिया। सरकार का मानना है कि इस बॉयोमेट्रिक आधारित योजना के चलते केंद्र की तरफ चल रही सामाजिक योजनाओं के साथ-साथ पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस देने की सुविधा को आसान बनाया जा सकेगा। सरकार ने जल्द से जल्द स्कीम को व्यापक रूप में लागू करने के लिए वित्तह विधेयक का सहारा लिया। क्योंकि अगर आधार बिल ऐसे ही राज्यसभा में पारित होने के लिए जाता तो वहां विपक्ष का बहुमत होने के कारण इसे पारित करवाने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता। वोटिंग के समय यह बिल गिर जाता। इस बिल में संशोधन के लिए कांग्रेस के सांसद राजीव सातव और बीजेडी के सांसद तथागत सतपथी ने प्रस्ताव पेश किया। पर उनके इस प्रस्ताव को ध्वनिमत से गिरा दिया गया। जब बिल लोकसभा में पास हुआ तब सदन में मात्र 73 सांसद मौजूद थे और कुल सांसदों की संख्या 545 है।

आधार बिल के वित्त विधेयक के रूप में पास हो जाने के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा "पूरे देश में 99 करोड़ लोगों ने आधार में अपना नामांकन करवा रखा है। देश के करीब 97 फीसदी लोगों के पास आधार कार्ड है। वहीं करीब 67 फीसदी बच्चों का भी पंजीकरण है। आधार कार्ड के जरिए पहले ही एलपीजी सब्सिडी में 15,000 करोड़ रुपए की बचत की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में चार राज्यों दिल्ली़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पुडुच्चेरी में आधार कार्ड के जरिए 2,346 करोड़ रुपए को बचाया जा सका है।

वहीं विपक्ष आधार कार्ड के जरिए लोगों की खुफिया निगरानी किए जाने के मुद्दे को उठा रहा है। विपक्ष का आधार कार्ड को लेकर डर है कि लोगों का बहुत अधिक संख्या में डाटा इस समय बाजार में है। सरकार को इस बात को सुनिश्चित करना चा‌हिए कि लोगों की बॉयोमेट्रिक पहचान को बांटा नहीं जाएगा। साथ ही आधार कार्ड को पहचान के रूप में कितनी जगह प्रयोग किया जाएगा, इस बात को भी साफ करना चाहिए।

Aadhar Bill लोकसभा में आधार बिल 2016 पारित हो गया है। इस विधेयक के प्रावधानों के अमल में आने के बाद सरकार आधार नंबर के इस्तेमाल के जरिए बेहतर तरीके से लाभान्वितों की पहचान और सीधे उनके खाते में सब्सिडी की रकम पहुंचाने का काम कर पाएगी। केंन्द्र में पूर्ववर्ती सरकार भी आधार से संबधित विधेयक लेकर आई थी और आधार कार्ड के उपयोग का मामला सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक भी पहुंचा था। तब सरकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड को स्वैच्छिक रखे जाने और अनिवार्य नहीं रखने की बात कही गई थी। मौजूदा सरकार ने पुराने बिल से इतर, आधार विधेयक के प्रावधानों को पूरी तरह से स्पष्ट किया है। इस बिधेयक का मुख्य उद्देश्य ये सुनिश्चित करना है कि सरकारी सब्सिडी और योजनाओं का लाभ सही लोगों को ही मिले जिससे उसमें होने वाली लीकेज़ को रोका जा सके।
मौजूदा समय में देश के कुल वयस्कों में से 97 फीसदी के पास आधार कार्ड मौजूद है और हर महीने करीब 6 लाख लोगो को आधार कार्ड जारी किए जा रहे है। विधेयक पर हुई चर्चा में सदस्यों ने प्रावधानों को लेकर सवाल किए और प्राईवेसी का मुद्दा भी उठाया। वित्त मंत्री ने विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए सदस्यों की निजी सूचनाओं को साझा किए जाने संबधी चिंता का भी जबाब दिया। उधर राज्यसभा में भी दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बारे में स्थिति पूरी तरह साफ की।

182 दिनों पर मिलेगा आधार

अरुण जेटली ने कहा कि इस बिल के जरिए जरूरतमंदों को यूआईडी नंबर देकर कुछ सेवाओं के संपर्क में लाना है। यूआईडी नंबर हर उस व्यमक्ति को मिलेगा जो भारत में182 दिन रहेगा।
कितने व्यंस्कोंआ के पास आधार

देश में इस समय 97 प्रतिशत वयस्कों के पास आधार कार्ड है, जबकि 67 प्रतिशत नाबालिगों ने भी आधार कार्ड बनवा लिए हैं। जेटली ने बताया कि रोज पांच से सात लाख लोग आधार से जुड़ रहे हैं।

अब सुप्रीम कोर्ट में तय होगा आपकी पहचान का 'आधार'

भले ही केंद्र सरकार ने आधार बिल को लोकसभा में वित्त विधेयक के रूप में पास करवा लिया हो। पर इसकी असल अग्निपरीक्षा अभी सुप्रीम कोर्ट में होनी बाकी है। आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सरकार अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय के बाद ही यह तय हो पाएगा कि आधार कार्ड का वजूद क्या है। पढ़िए खास रिपोर्ट जिसमें आधार कार्ड के भूत से भविष्य तक की विस्तृत पड़ताल की गई है।
आधार योजना को संवैधानिक रूप देने के लिए केंद्र सरकार ने 11 मार्च, 2016 को लोकसभा में वित्त विधेयक के रूप में आधार बिल को पास करवा लिया। सरकार का मानना है कि इस बॉयोमेट्रिक आधारित योजना के चलते केंद्र की तरफ चल रही सामाजिक योजनाओं के साथ-साथ पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस देने की सुविधा को आसान बनाया जा सकेगा। सरकार ने जल्द से जल्द स्कीम को व्यापक रूप में लागू करने के लिए वित्तह विधेयक का सहारा लिया। क्योंकि अगर आधार बिल ऐसे ही राज्यसभा में पारित होने के लिए जाता तो वहां विपक्ष का बहुमत होने के कारण इसे पारित करवाने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता। वोटिंग के समय यह बिल गिर जाता। इस बिल में संशोधन के लिए कांग्रेस के सांसद राजीव सातव और बीजेडी के सांसद तथागत सतपथी ने प्रस्ताव पेश किया। पर उनके इस प्रस्ताव को ध्वनिमत से गिरा दिया गया। जब बिल लोकसभा में पास हुआ तब सदन में मात्र 73 सांसद मौजूद थे और कुल सांसदों की संख्या 545 है।

आधार बिल के वित्त विधेयक के रूप में पास हो जाने के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा "पूरे देश में 99 करोड़ लोगों ने आधार में अपना नामांकन करवा रखा है। देश के करीब 97 फीसदी लोगों के पास आधार कार्ड है। वहीं करीब 67 फीसदी बच्चों का भी पंजीकरण है। आधार कार्ड के जरिए पहले ही एलपीजी सब्सिडी में 15,000 करोड़ रुपए की बचत की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में चार राज्यों दिल्ली़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पुडुच्चेरी में आधार कार्ड के जरिए 2,346 करोड़ रुपए को बचाया जा सका है।

वहीं विपक्ष आधार कार्ड के जरिए लोगों की खुफिया निगरानी किए जाने के मुद्दे को उठा रहा है। विपक्ष का आधार कार्ड को लेकर डर है कि लोगों का बहुत अधिक संख्या में डाटा इस समय बाजार में है। सरकार को इस बात को सुनिश्चित करना चा‌हिए कि लोगों की बॉयोमेट्रिक पहचान को बांटा नहीं जाएगा। साथ ही आधार कार्ड को पहचान के रूप में कितनी जगह प्रयोग किया जाएगा, इस बात को भी साफ करना चाहिए।

Aadhar Bill लोकसभा में आधार बिल 2016 पारित हो गया है। इस विधेयक के प्रावधानों के अमल में आने के बाद सरकार आधार नंबर के इस्तेमाल के जरिए बेहतर तरीके से लाभान्वितों की पहचान और सीधे उनके खाते में सब्सिडी की रकम पहुंचाने का काम कर पाएगी। केंन्द्र में पूर्ववर्ती सरकार भी आधार से संबधित विधेयक लेकर आई थी और आधार कार्ड के उपयोग का मामला सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक भी पहुंचा था। तब सरकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड को स्वैच्छिक रखे जाने और अनिवार्य नहीं रखने की बात कही गई थी। मौजूदा सरकार ने पुराने बिल से इतर, आधार विधेयक के प्रावधानों को पूरी तरह से स्पष्ट किया है। इस बिधेयक का मुख्य उद्देश्य ये सुनिश्चित करना है कि सरकारी सब्सिडी और योजनाओं का लाभ सही लोगों को ही मिले जिससे उसमें होने वाली लीकेज़ को रोका जा सके।
मौजूदा समय में देश के कुल वयस्कों में से 97 फीसदी के पास आधार कार्ड मौजूद है और हर महीने करीब 6 लाख लोगो को आधार कार्ड जारी किए जा रहे है। विधेयक पर हुई चर्चा में सदस्यों ने प्रावधानों को लेकर सवाल किए और प्राईवेसी का मुद्दा भी उठाया। वित्त मंत्री ने विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए सदस्यों की निजी सूचनाओं को साझा किए जाने संबधी चिंता का भी जबाब दिया। उधर राज्यसभा में भी दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बारे में स्थिति पूरी तरह साफ की।

182 दिनों पर मिलेगा आधार

अरुण जेटली ने कहा कि इस बिल के जरिए जरूरतमंदों को यूआईडी नंबर देकर कुछ सेवाओं के संपर्क में लाना है। यूआईडी नंबर हर उस व्यमक्ति को मिलेगा जो भारत में182 दिन रहेगा।
कितने व्यंस्कोंआ के पास आधार

देश में इस समय 97 प्रतिशत वयस्कों के पास आधार कार्ड है, जबकि 67 प्रतिशत नाबालिगों ने भी आधार कार्ड बनवा लिए हैं। जेटली ने बताया कि रोज पांच से सात लाख लोग आधार से जुड़ रहे हैं।

अब सुप्रीम कोर्ट में तय होगा आपकी पहचान का 'आधार'

भले ही केंद्र सरकार ने आधार बिल को लोकसभा में वित्त विधेयक के रूप में पास करवा लिया हो। पर इसकी असल अग्निपरीक्षा अभी सुप्रीम कोर्ट में होनी बाकी है। आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सरकार अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय के बाद ही यह तय हो पाएगा कि आधार कार्ड का वजूद क्या है। पढ़िए खास रिपोर्ट जिसमें आधार कार्ड के भूत से भविष्य तक की विस्तृत पड़ताल की गई है।
आधार योजना को संवैधानिक रूप देने के लिए केंद्र सरकार ने 11 मार्च, 2016 को लोकसभा में वित्त विधेयक के रूप में आधार बिल को पास करवा लिया। सरकार का मानना है कि इस बॉयोमेट्रिक आधारित योजना के चलते केंद्र की तरफ चल रही सामाजिक योजनाओं के साथ-साथ पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस देने की सुविधा को आसान बनाया जा सकेगा। सरकार ने जल्द से जल्द स्कीम को व्यापक रूप में लागू करने के लिए वित्तह विधेयक का सहारा लिया। क्योंकि अगर आधार बिल ऐसे ही राज्यसभा में पारित होने के लिए जाता तो वहां विपक्ष का बहुमत होने के कारण इसे पारित करवाने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता। वोटिंग के समय यह बिल गिर जाता। इस बिल में संशोधन के लिए कांग्रेस के सांसद राजीव सातव और बीजेडी के सांसद तथागत सतपथी ने प्रस्ताव पेश किया। पर उनके इस प्रस्ताव को ध्वनिमत से गिरा दिया गया। जब बिल लोकसभा में पास हुआ तब सदन में मात्र 73 सांसद मौजूद थे और कुल सांसदों की संख्या 545 है।

आधार बिल के वित्त विधेयक के रूप में पास हो जाने के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा "पूरे देश में 99 करोड़ लोगों ने आधार में अपना नामांकन करवा रखा है। देश के करीब 97 फीसदी लोगों के पास आधार कार्ड है। वहीं करीब 67 फीसदी बच्चों का भी पंजीकरण है। आधार कार्ड के जरिए पहले ही एलपीजी सब्सिडी में 15,000 करोड़ रुपए की बचत की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में चार राज्यों दिल्ली़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पुडुच्चेरी में आधार कार्ड के जरिए 2,346 करोड़ रुपए को बचाया जा सका है।

वहीं विपक्ष आधार कार्ड के जरिए लोगों की खुफिया निगरानी किए जाने के मुद्दे को उठा रहा है। विपक्ष का आधार कार्ड को लेकर डर है कि लोगों का बहुत अधिक संख्या में डाटा इस समय बाजार में है। सरकार को इस बात को सुनिश्चित करना चा‌हिए कि लोगों की बॉयोमेट्रिक पहचान को बांटा नहीं जाएगा। साथ ही आधार कार्ड को पहचान के रूप में कितनी जगह प्रयोग किया जाएगा, इस बात को भी साफ करना चाहिए।

Aadhar Bill लोकसभा में आधार बिल 2016 पारित हो गया है। इस विधेयक के प्रावधानों के अमल में आने के बाद सरकार आधार नंबर के इस्तेमाल के जरिए बेहतर तरीके से लाभान्वितों की पहचान और सीधे उनके खाते में सब्सिडी की रकम पहुंचाने का काम कर पाएगी। केंन्द्र में पूर्ववर्ती सरकार भी आधार से संबधित विधेयक लेकर आई थी और आधार कार्ड के उपयोग का मामला सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक भी पहुंचा था। तब सरकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड को स्वैच्छिक रखे जाने और अनिवार्य नहीं रखने की बात कही गई थी। मौजूदा सरकार ने पुराने बिल से इतर, आधार विधेयक के प्रावधानों को पूरी तरह से स्पष्ट किया है। इस बिधेयक का मुख्य उद्देश्य ये सुनिश्चित करना है कि सरकारी सब्सिडी और योजनाओं का लाभ सही लोगों को ही मिले जिससे उसमें होने वाली लीकेज़ को रोका जा सके।
मौजूदा समय में देश के कुल वयस्कों में से 97 फीसदी के पास आधार कार्ड मौजूद है और हर महीने करीब 6 लाख लोगो को आधार कार्ड जारी किए जा रहे है। विधेयक पर हुई चर्चा में सदस्यों ने प्रावधानों को लेकर सवाल किए और प्राईवेसी का मुद्दा भी उठाया। वित्त मंत्री ने विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए सदस्यों की निजी सूचनाओं को साझा किए जाने संबधी चिंता का भी जबाब दिया। उधर राज्यसभा में भी दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बारे में स्थिति पूरी तरह साफ की।

182 दिनों पर मिलेगा आधार

अरुण जेटली ने कहा कि इस बिल के जरिए जरूरतमंदों को यूआईडी नंबर देकर कुछ सेवाओं के संपर्क में लाना है। यूआईडी नंबर हर उस व्यमक्ति को मिलेगा जो भारत में182 दिन रहेगा।
कितने व्यंस्कोंआ के पास आधार

देश में इस समय 97 प्रतिशत वयस्कों के पास आधार कार्ड है, जबकि 67 प्रतिशत नाबालिगों ने भी आधार कार्ड बनवा लिए हैं। जेटली ने बताया कि रोज पांच से सात लाख लोग आधार से जुड़ रहे हैं।

अब सुप्रीम कोर्ट में तय होगा आपकी पहचान का 'आधार'

भले ही केंद्र सरकार ने आधार बिल को लोकसभा में वित्त विधेयक के रूप में पास करवा लिया हो। पर इसकी असल अग्निपरीक्षा अभी सुप्रीम कोर्ट में होनी बाकी है। आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सरकार अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय के बाद ही यह तय हो पाएगा कि आधार कार्ड का वजूद क्या है। पढ़िए खास रिपोर्ट जिसमें आधार कार्ड के भूत से भविष्य तक की विस्तृत पड़ताल की गई है।
आधार योजना को संवैधानिक रूप देने के लिए केंद्र सरकार ने 11 मार्च, 2016 को लोकसभा में वित्त विधेयक के रूप में आधार बिल को पास करवा लिया। सरकार का मानना है कि इस बॉयोमेट्रिक आधारित योजना के चलते केंद्र की तरफ चल रही सामाजिक योजनाओं के साथ-साथ पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस देने की सुविधा को आसान बनाया जा सकेगा। सरकार ने जल्द से जल्द स्कीम को व्यापक रूप में लागू करने के लिए वित्तह विधेयक का सहारा लिया। क्योंकि अगर आधार बिल ऐसे ही राज्यसभा में पारित होने के लिए जाता तो वहां विपक्ष का बहुमत होने के कारण इसे पारित करवाने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता। वोटिंग के समय यह बिल गिर जाता। इस बिल में संशोधन के लिए कांग्रेस के सांसद राजीव सातव और बीजेडी के सांसद तथागत सतपथी ने प्रस्ताव पेश किया। पर उनके इस प्रस्ताव को ध्वनिमत से गिरा दिया गया। जब बिल लोकसभा में पास हुआ तब सदन में मात्र 73 सांसद मौजूद थे और कुल सांसदों की संख्या 545 है।

आधार बिल के वित्त विधेयक के रूप में पास हो जाने के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा "पूरे देश में 99 करोड़ लोगों ने आधार में अपना नामांकन करवा रखा है। देश के करीब 97 फीसदी लोगों के पास आधार कार्ड है। वहीं करीब 67 फीसदी बच्चों का भी पंजीकरण है। आधार कार्ड के जरिए पहले ही एलपीजी सब्सिडी में 15,000 करोड़ रुपए की बचत की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में चार राज्यों दिल्ली़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पुडुच्चेरी में आधार कार्ड के जरिए 2,346 करोड़ रुपए को बचाया जा सका है।

वहीं विपक्ष आधार कार्ड के जरिए लोगों की खुफिया निगरानी किए जाने के मुद्दे को उठा रहा है। विपक्ष का आधार कार्ड को लेकर डर है कि लोगों का बहुत अधिक संख्या में डाटा इस समय बाजार में है। सरकार को इस बात को सुनिश्चित करना चा‌हिए कि लोगों की बॉयोमेट्रिक पहचान को बांटा नहीं जाएगा। साथ ही आधार कार्ड को पहचान के रूप में कितनी जगह प्रयोग किया जाएगा, इस बात को भी साफ करना चाहिए।

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