केंद्र सरकार ने 28 जुलाई 2014 को स्वदेशी गायों के संरक्षण और नस्लों के विकास को वैज्ञानिक तरीके से प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन (राष्ट्रव्यापी योजना) की शुरुआत की।
* यह मिशन राष्ट्रीय पशु प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीबीबीडीडी) पर केन्द्रित परियोजना है।
* इस मिशन का शुभारंभ केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने नई दिल्ली में किया ।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के उद्देश्य-
1- स्वदेशी नस्लों का विकास और संरक्षण ।
2- स्वदेशी पशु नस्लों के लिए नस्ल सुधार कार्यक्रम शुरु करना ताकि अनुवांशिक सुधार और पशुओं की संख्या में वृद्धि की जा सके ।
3- दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए ।नॉन–डेसक्रिप्ट पशुओं का गिर, साहीवाल, राठी, देउनी, थारपारकर, रेड सिन्धी और अन्य
4- कुलीन स्वदेशी नस्लों के जरिए अपग्रेडेशन करना ।
5- प्राकृतिक सेवाओँ के लिए उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों का वितरण ।
* इस परियोजना के लिए सरकार ने वित्त वर्ष 2014–15 में 150 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं जबकि, 12वीं पचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम पर 500 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं ।
* योजना के तहत धन का आवंटन इस प्रकार किया जाएगा।
1-एकीकृत स्वदेशी पशु केंद्र जैसे गोकुल ग्राम की स्थापना ।
2-उच्च आनुवांशिक योग्यता वाले स्वदेशी नस्लों के संरक्षण के लिए बुल मदर फार्म्स को मजबूत बनाना ।
3-प्रजनन तंत्र में क्षेत्र प्रदर्शन रिकॉर्डिंग (एफपीआर) की स्थापना ।
4-सर्वश्रेष्ठ जर्मप्लाज्म को रखने वाले संस्थानों/ संगठनों को सहायता देना ।
5-बड़ी आबादी के साथ स्वदेशी नस्लों के लिए वंशावरी चुनाव कार्यक्रम का कार्यान्वयन ।
6-ब्रीडर्स सोसायटी: गोपालन संघ की स्थापना ।
7-प्राकृतिक सेवाओँ के लिए उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले रोगमुक्त सांडों का वितरण ।
8-स्वदेशी नस्लों के कुलीन पशुओं को रखने वाले किसानों को प्रोत्साहन ।
9-बछिया पालन कार्यक्रम, किसानों को पुरस्कार (गोपाल रत्न) और ब्रीडर्स सोसायटी (कामधेनु) ।
10-स्वदेशी नस्लों के लिए दुग्ध उत्पादन प्रतियोगिता का आयोजन ।
11-स्वदेशी पशु विकास कार्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों में काम करने वाले तकनीकी और गैर–तकनीकी लोगों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन ।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन का कार्यान्वयन-
राष्ट्रीय गोकुल मिशन राज्य कार्यन्वयन एजेंसियों (एसएआई जैसे पशुधन विकास बोर्ड, एलडीबी) के जरिए कार्यान्वित किया गया स्वदेशी पशु विभाग में सर्वश्रेष्ठ जर्मप्लाज्म के साथ भूमिका निभाने वाली सभी एजेंसियां जैसे सीएफएसपीटीआई, सीसीबीएफ, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, एनजीओ, सहकारी समितियां और गौशालाएं “प्रतिभागी एजेंसियां” है।
गोकुल ग्राम-
मिशन के तहत स्वदेशी पशु केंद्रों या गोकुल ग्राम की स्थापना स्वदेशी नस्लों के प्रजनन इलाकों में की गयी। गोकुल ग्राम की स्थापना पीपीपी मॉडल के तहत की जाएगी और इसकी स्थापना देशी प्रजनन इलाकों में शहरी पशु आवास के लिए महानगरों के निकट की गयी ।
गोकुल ग्राम किसानों के लिए प्रशिक्षण केंद्र में आधुनिक सुविधाएं प्रदान करेगा।मेट्रोपोलिटन गोकुल ग्राम का केंद्र शहरी पशुओं के आनुवांशिक उन्नयन पर होगा।
1000 जानवरों की क्षमता वाले इन ग्रामों में उत्पादक और अनुत्पादक पशुओं का अनुपात 60:40 का होगा. ये गोकुल ग्राम पशुओं के पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए घर में चारा उत्पादित करेंगे।
* गोकुल ग्राम एक संस्थान होगा जो निम्नलिखित चीजों की बिक्री के जरिए आर्थिक संसाधन पैदा करेगा।
1-दूध
2-जैविक खाद
3-केंचुआ–खाद
4-मूत्र डिस्टिलेट
5-घरेलू खपत के लिए बायो गैस से बिजली का उत्पादन
6-पशु उत्पादों की बिक्री
ये गतिविधियां गोकुल ग्रामों को आत्मनिर्भर संगठन बनाएंगी।
नस्लों को बीमारी मुक्त रखने के लिए जानवरों को जीडी, टीबी और ब्रूसीलोसिंस जैसी बीमारियों से बचाने के लिए नियमित जांच की जाएगी. इसके अलावा, गोकुल ग्राम में एक डिस्पेंसरी और एआई केंद्र भी है ।
मै इस अनूठी पहल के लिए मेरी एवं मेरे प्रदेशवासियों की तरफ से हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।
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