मृदा स्वास्थ्य कार्ड स्कीम (Soil Health Card Yojna) को 2015 में किसानों के लिए लाया गया है। इस योजना से किसानों को बहुत ज्यादा फायदा भी हुआ है और आगे भी होने वाला है। भारत में बहुत सारे किसान हैं जिनके खेतों में सही प्रकार से अनाजों का पैदावार नहीं हो पा रहा है। इसका सबसे बड़े कारण हैं –
1:पहला लोगों द्वारा गलत फसल का चुनाव।
2: दूसरा लोगों को पता ना होना कि उनके खेत की मिटटी में कौन सा खाद ज्यादा चाहिए और कौन सा कम। ना ही उन्हें पता है कैसे वो अपने मिटटी की उर्वरता शक्ति को बाधा सकते हैं।
इन कारणों को समझने के बाद हमारे माननीय प्रधानमंत्री – नरेन्द्र मोदी जी ने 2015 को किसानो के लाभ हेतु मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme) को शुरू किया। इस योजना सभी किसानों को जो अपने खेत की मिटटी की जाँच करवाना चाहता है उन्हें अपने खेत की मिटटी को परिक्षण के लिए भेजने पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) प्रदान किया जाता है।
इस मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) में उनके खेत की मिटटी की पूरी जानकारी लिखी होती है जैसे उसमें कितनी-कितनी मात्रा किन-किन चीजों की है और कौन सा फ़सल करने के लिए कितना-कितना कौन-कौन सा खाद किसानों को अपने खेतों में उपयोग करना होगा।
इस मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) की मदद से किसान आसानी से अपने खेत की मिटटी के स्वास्थ्य को समझ पाएंगे और उसके लिए सही खाद और फ़सल का चुनाव भी कर सकेंगे। इससे उनके खेतों में ज्यादा फ़सल होगा और किसानो को अच्छा लाभ भी होगा।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड की विशेषताएं :
1: सरकार ने इस योजना के तहत पुरे भारत के 14 करोड़ से भी ज्यादा किसानों तक इस स्कीम से जोडने की सोचा है।
2: यह योजना भारत के हर क्षेत्र में उपलब्ध है।
3: इस योजना से जुड़े हुए सभी किसानों को उनका मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) ऑनलाइन और प्रिंट कर के दिया जाता है। मिटटी के परिक्षण के बाद इसमें उनके खेत की मिटटी के विषय में सभी जानकारियाँ दी जाती है।
4: हर किसान को उनके मिटटी / मृदा का स्वास्थ्य कार्ड प्रति 3 वर्ष में दिया जाता है।
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