हर साल करीब 7 से 8 लाख युवा/युवतियां विदेश रोजगार की तलाश में जाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा लोग खाड़ी देश जाते हैं। उन्हें उस देश के नियम, भाषा और संस्कृति की पूरी जानकारी नहीं होती है। यहां तक कि किसी ख़ास कारोबार के लिए जो कौशल चाहिए होता है वो भी उनके पास नहीं होता है।
जिसके चलते प्रवासी कौशल विकास योजना विदेश मंत्रालय का एक बड़ा कदम माना जा रहा है। जिसके तहत इन कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाता है। देखा गया है कि प्रवासी भारतीय जहां भी रहते हैं। उसे कर्मभूमि मान लेते हैं और वहां विकास के काम में अपना पूरा योगदान देते हैं।
विदेशों में भारतीयों को उनके योगदान के लिए सम्मानित भी किया जाता है। यही सोचकर पीएम मोदी द्वारा प्रवासी कौशल विकास योजना लागू की जिससे भारतीय नौजवानों के कौशल में कोई कमी न रह सके..
क्या है ‘प्रवासी कौशल विकास योजना’ :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जनवरी 2017 को एक नयी प्रवासी कौशल विकास योजना (PKVY) की शुरुआत की। यह एक कौशल विकास कार्यक्रम है। जो भारतीय युवाओं को विदेशों में रोजगार की मांग पर लक्षित है।
योजना की जानकारी पीएम मोदी ने 14वें प्रवासी भारतीय दिवस के मौके पर दी जिसमें उन्होंने कई विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए विदेशों में भारतीय युवाओं के योगदान की तारीफ़ भी की थी।
प्रवासी कौशल विकास योजना’ उद्देश्य :
‘प्रवासी कौशल विकास योजना’ के जरिए भारतीय युवाओं के आत्मविश्वास के स्तर में वृद्दि कर उन्हें पूरे आत्मविश्वास से विदेशों में अपने लिए योग्य अवसरों की खोज करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
प्रवासी कौशल विकास योजना के महत्वपूर्ण लक्ष्य :
. वर्ष 2016-17 में डेढ़ करोड़ लोगों को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
· भारत के कौशल विकास के परिस्थिति तंत्र को मजबूत करने के लिए कौशल प्रमाणीकरण केंद्रीय बोर्ड की स्थापना करना।
· वर्तमान इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रयोग नहीं की गई मूलभूत सरंचनाओं को कौशल विकास के लिए उपयोग करने का लक्ष्य।
· देश से बाहर जाकर रोज़गार करने वालों के लिए 50 प्रवासी कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र खोलने की योजना बनाई गई।
· देश भर में फैले आईटीई, सीटीआई, पीएमकेवीवाई प्रशिक्षण केंद्र, टूलरुम पर 500 रोज़गार उत्सव का आयोजन किया जाएगा।
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