भारत नेशनल कार असेसमेंट प्रोग्राम :
मोदी सरकार अक्टूबर 2017 से सभी गाड़ियों में एयरबैग के साथ-साथ रिवर्स गियर सेंसर, स्पीड वार्निंग सिस्टम और सीट बेल्ट रिमाइंडर जैसे सुरक्षा उपायों को अनिवार्य करने की तैयारी कर रही है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने बुधवार को इसके लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. भारत में गाड़ियों की कीमत को कम रखने के लिए कार निर्माता सुरक्षा उपायों और मानकों से समझौता करते हैं. लेकिन, सब कुछ योजना के मुताबिक चला तो वे अगले साल से ऐसा नहीं कर पाएंगे.
नोटिफिकेशन के मुताबिक स्पीड वार्निंग सिस्टम गाड़ी की रफ्तार 80 किमी. प्रति घंटे से ज्यादा होने पर सचेत करेगा जबकि 100 किमी से ज्यादा स्पीड होने पर वह लगातार ऑडियो चेतावनी देने लगेगा. सरकार की इस पहल का मकसद भारत में चलने वाली गाड़ियों में सुरक्षा मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाना है. मंत्रालय ने ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पर कार बनाने वाली कंपनियों से भी राय मांगी है.
द इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया कि जो भी समय सीमा तय की जाएगी, उसे सभी कार कंपनियां मानने के लिए बाध्य होंगी. अभी केवल कुछ कंपनियां ही अपनी कारों में एयरबैग और एंटी ब्रेक सिस्टम जैसे सुरक्षा उपाय उपलब्ध कराती हैं. एक आकलन के मुताबिक नए सुरक्षा उपायों को जोड़ने के बाद कारों की कीमत में कम से कम दस फीसदी का उछाल आ जाएगा.
सरकार ने इसके अलावा वाहनों की सुरक्षा और ईंधन की गुणवत्ता जांचने के लिए अलग से एक संस्था बनाने की योजना बनाई है. इसके तहत सुरक्षा उपायों और ईंधन गुणवत्ता के आधार पर कारों को जीरो से पांच तक अंक मिलेंगे. भारत नेशनल कार असेसमेंट प्रोग्राम के तहत पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से भी गाड़ियों के अगले हिस्से की डिजाइन में बदलाव करने का निर्देश दिया गया है.
मंत्रालय ने कारों के नए मॉडल में पैदल यात्रियों संबंधी सुरक्षा जांच और क्रैश टेस्ट के लिए अक्टूबर 2017 की समय सीमा तय की है. इसके तहत 64 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार पर फ्रंटल क्रैश टेस्ट, जबकि 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर साइड क्रैश टेस्ट किया जाएगा.
सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या देखें तो भारतीय सड़कों को दुनिया की सबसे घातक सड़कें कहा जा सकता है. परिवहन, पर्यटन और संस्कृति मामलों की संसद की स्थायी समिति की 234वीं रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में 1,46,133 लोग सड़क हादसों में मारे गए. यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले 4.6 फीसदी ज्यादा है. 2014 में सड़क हादसों ने 1,39,671 लोगों की जान ली थी.
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