प्रधानमंत्री मोदी ने तेलंगाना की प्यास बुझाने शुरू किया मिशन भागीरथ।
7 अगस्त 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना के मेडक जिले की गजवेल विधानसभा क्षेत्र स्थित कोमतीबंडा गांव में ‘मिशन भागीरथ’ का उद्घाटन किया। यह एक नल के जरिए पेयजल पहुंचाने का प्रोजेक्ट है, जिसकी लागत 42 हजार करोड़ रुपए तय की गई है।
मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। पाइप के जरिए पेयजल पहुंचाने के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट से गजवेल विधानसभा क्षेत्र के 67 हजार शहरी और 25 हजार ग्रामीण परिवारों को पीने का पानी पहुंचाया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने 152 किलोमीटर लंबी कोथपल्ली–मनोहराबाद रेलवे लाइन का शिलान्यास भी किया। यह लाइन हैदराबाद और करीमनगर को जोड़ेगी। इसके जरिए भी क्षेत्र के स्थानीय लोगों की बरसों पुरानी मांग को पूरा किया जा सकेगा।
प्रधानमंत्री ने एनटीपीसी के तेलंगाना सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट स्टेज-1 के तहत 800 मेगावाट के दो प्लांट्स प्लांट का शिलान्यास भी किया। इसके साथ ही करीमनगर जिले में रामागुंडम फर्टिलाइजर प्लांट को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया की भी शुरू की।
राज्य के बुनियादी ढांचे को मजबूती देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने वारंगल में कलोजी नारायण राव यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस के लिए भी शिलान्यास किया।
2014 में तेलंगाना के बनने के बाद पहली बार यात्रा पर आए प्रधानमंत्री मोदी ने केसीआर के नेतृत्व वाली सरकार की भूरि–भूरि प्रशंसा की। उन्होंने पिछले दो साल में राज्य सरकार की उपलब्धियों को भी अपने भाषण में रेखांकित किया।
व्यापक पेयजल आपूर्ति परियोजना राज्य की बहुत बड़ी आवश्यकता थी, जो खराब मानसून और बारिश के पानी को सुरक्षित रखने के खराब बुनियादी ढांचे से जूझ रहा है।
मिशन भागीरथ 2018 तक पूरा होना है। उस समय तक राज्य के बड़े हिस्से में पाइप के जरिए पेयजल मिलने लगेगा। इसके साथ ही कृषि और औद्योगिक जरूरतों को भी पूरा किया जा सकेगा।
भारत के इस सबसे नए राज्य को दो बड़ी नदियों का वरदान मिला हुआ है– गोदावरी और कृष्णा। राज्य इसके बाद भी मानसून की बेरुखी का सामना करता है और राज्य के बड़े हिस्से में सूखे–जैसी स्थिति बनी रहती है।
ऐसी परिस्थितियों में राज्य के करीब 973 गांव प्रदूषित भूजल पीने को बाध्य है। उसमें फ्लोराइड की मात्रा बहुत ज्यादा है। इस कारण लोगों में फ्लोरोसिस जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही है।
मिशन भागीरथ की विशेषताएं :
कृष्णा और गोदावरी नदियों को राज्य के जलाशयों से इंटरलिंक किया जाएगा। इससे राज्य की जरूरत के मुताबिक पानी के संग्रहण, संरक्षण और आपूर्ति की व्यवस्था सुधारी जाएगी।
पानी की पाइपलाइन की कुल लंबाईः 1,30,000 किमी– 26 इंटरनल ग्रिड्स, 62 इंटरमीडिएट पम्पिंग स्टेशन, 16 इनटेक वेल्स, 110 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स और 37,573 ओवरहेड सर्विस रिजर्वायर।
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