प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के बारे में :
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान भारत सरकार की एक नई पहल है, जिसके तहत प्रत्येक माह की निश्चित नवीं तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को व्यापक और गुणवत्तायुक्त प्रसव पूर्व देखभाल प्रदान करना सुनिश्चित किया गया है।
- इस अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उनकी गर्भावस्था के दूसरी और तीसरी तिमाही की अवधि (गर्भावस्था के 4 महीने के बाद) के दौरान प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं का न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जाएगा।
- इस कार्यक्रम की प्रमुख विशेषता यह हैं, कि प्रसव पूर्व जांच सेवाएं ओबीजीवाई विशेषज्ञों/चिकित्सा अधिकारियों द्वारा उपलब्ध करायी जाएगी।
- निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों/चिकित्सकों को हर महीने की नवीं तारीख को उनके जिलों में सरकारी चिकित्सकों के प्रयासों के साथ स्वैच्छिक सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा हैं।
- माननीय प्रधानमंत्री जी ने मन की बात की हाल की कड़ी में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के लक्ष्य और शुरूआत के उद्देश्य पर प्रकाश डाला तथा निजी क्षेत्र के स्त्री रोग विशेषज्ञों/चिकित्सकों से उनकी स्वैच्छिक सेवाएं देने की अपील की।
- इस कार्यक्रम की शुरुआत इस आधार पर की गयी है, कि यदि भारत में हर एक गर्भवती महिला का चिकित्सा अधिकारी द्वारा परीक्षण एवं पीएमएसएमए के दौरान उचित तरीकें से कम से कम एक बार जांच की जाएँ तथा इस अभियान का उचित पालन किया जाएँ, तो यह अभियान हमारे देश में होने वाली मातृ मृत्यु की संख्या को कम करने में महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका निभा सकता हैं।
- पीएमएसएमए के उद्देश्य :
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प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, प्रजनन मातृ नवजात शिशु एवं किशोर स्वास्थ्य (आरएमएनसीएच + A) रणनीति के तहत निदान तथा परामर्श सेवाओं सहित गुणवत्तायुक्त प्रसव पूर्व देखभाल की कवरेज़ (एएनसी) के लिये परिकल्पना की गयी है।
इस कार्यक्रम के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- चिकित्सकों/विशेषज्ञों द्वारा दूसरी या तीसरी तिमाही की सभी गर्भवती महिलाओं को कम से कम एक प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित करना हैं।
- प्रसव पूर्व जाँच के दौरान देखभाल की गुणवत्ता सुधारना, जिसमें निम्नलिखित सेवाएं शामिल हैं:
- सभी उपयुक्त नैदानिक सेवाएं।
- उपयुक्त नैदानिक स्थितियों के लिए स्क्रीनिंग।
- कोई भी नैदानिक स्थितियां जैसे कि रक्ताल्पता, गर्भावस्था प्रेरित उच्च रक्तचाप, गर्भावधि मधुमेह आदि का उचित प्रबंधन।
- उचित परामर्श सेवाएं एवं सेवाओं का उचित प्रलेखन रखना।
- उन गर्भवती महिलाओं को, जो किसी भी कारण से अपनी प्रसव पूर्व जाँच नहीं करा पायी, उन्हें अतिरिक्त अवसर प्रदान करना।
- प्रसूति/चिकित्सा के इतिहास और मौजूदा नैदानिक स्थिति के आधार पर उच्च ज़ोखिम गर्भधारण की पहचान और लाइन-सूची करना।
- हर गर्भवती महिला को विशेषत रूप से जिनकी पहचान किसी भी ज़ोखिम कारक या सहरुग्णता स्थिति में की गयी हैं, उनके लिए उचित जन्म योजना और जटिलता की तैयारी करना।
- कुपोषण से पीड़ित महिलाओं में रोग का जल्दी पता लगाने, पर्याप्त और उचित प्रबंधन पर विशेष ज़ोर देना। किशोर और जल्दी गर्भधारण पर विशेष ध्यान देना, क्योंकि इन गर्भधारणों में अतिरिक्त एवं विशेष देखभाल की ज़रूरत होती है।
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