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Vinod Sonkar
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राष्ट्रीय योजना

श्यामा प्रसाद मुखेर्जी रुर्बन मिशन

श्यामा प्रसाद मुखेर्जी रुर्बन मिशन

महात्मा गांधी का कथन था कि ‘‘असली भारत तो गांवों में बसता है और जब तक गांवों का सामाजिक एवं आर्थिक विकास नहीं होगा तब तक भारत का विकास संभव नहीं है।’’ लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि सभी प्रयासों के बावजूद स्वतंत्रता के 68 वर्ष बाद भी देश के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध सुविधाओं की दृष्टि से काफी बड़ा अंतर नजर आता है। इस अंतर को कम करने तथा संतुलित सामाजिक-आर्थिक विकास प्राप्त करने के उद्देश्य से वर्ष 2003 में केंद्र सरकार ने ‘पुरा’ (PURA : Provision of Urban Amenities in Rural Areas) नामक योजना की घोषणा की थी। इस योजना की संकल्पना भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा प्रस्तुत की गई थी। यह योजना प्रायोगिक आधार पर वर्ष 2004 से 3 वर्ष की अवधि तक कार्यान्वित की गई। प्रायोगिक चरण की समाप्ति के पश्चात उससे प्राप्त अनुभवों, मंत्रालयों/विभागों तथा अन्य स्रोतों की समीक्षाओं के आधार पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक पुनर्संरचित पुरा योजना प्रतिपादित की। सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 248 करोड़ रुपये के परिव्यय से इस योजना के कार्यान्वयन को स्वीकृति प्रदान की थी। कई राज्य सरकारों ने इस योजना को लागू करने की घोषणा भी की लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव के कारण पुरा योजना अपनी पूर्ण क्षमता के साथ कभी भी कार्यान्वित नहीं हो सकी।
वर्ष 2014-15 के लिए प्रस्तुत केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पुरा योजना हेतु कोई राशि आबंटित नहीं की और इसके स्थान पर एक नए ‘रर्बन मिशन’ (Rurban Mission) को प्रारंभ करने की घोषणा की थी।

  • 16 सितंबर, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी रर्बन मिशन’ (SPMRM) को स्वीकृति प्रदान की।
  • यह मिशन 5142.08 करोड़ रुपये के परिव्यय से कार्यान्वित किया जाएगा।
  • इस मिशन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों को आर्थिक, सामाजिक एवं भौतिक रूप से टिकाऊ स्थलों में रूपांतरित करना है।
  • इस मिशन के तहत स्मार्ट ग्रामों के एक समूह का निर्माण किया जाएगा।
  • ऐसे विभिन्न ग्राम-समूह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बनाए जाएंगे।
  • इन्हें रर्बन (रूरल+अर्बन) समूह कहा जाएगा।
  • इस मिशन के तहत अगले तीन वर्षों में 300 रर्बन समूहों के विकास का लक्ष्य रखा गया है।
  • मिशन के कार्यान्वयन के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा तैयार की गई रूपरेखा के अनुसार राज्य सरकारें ग्राम-समूहों को चिह्नित करने का कार्य करेंगी।
  • निर्धारित मानक के हिसाब से मैदानी क्षेत्रों में ग्राम-समूहों में लगभग 25 हजार से 50 हजार तक की आबादी और पहाड़ी एवं समुद्र-तटीय क्षेत्रों में 5 हजार से 15 हजार तक की आबादी को शामिल किया जाएगा।
  • गांवों को स्मार्ट बनाने वाले इस मिशन हेतु पंचायत स्तर की योजनाओं के धन का उपयोग किया जाएगा।
  • जबकि केंद्र सरकार प्रति ग्राम-समूह परियोजना लागत की अधिकतम 30 प्रतिशत राशि अतिरिक्त वित्तीय सहायता के रूप में उपलब्ध कराएगी।
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