स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (गोल्ड मोनेटाईजेशन स्कीम) भारत सरकार की एक योजना है जिसकी घोषणा २०१५-१६ के बजट में की ग्यी थी। यह योजना स्वर्ण जमा योजना (गोल्ड डिपाजिट स्कीम) के स्थान पर शुरू की गई है। 5 नवंबर 2015 से यह यह योजना लागू है। इस योजना का उद्देश्य घरों व अन्य संस्थानों के पास निष्क्रिय पड़े लगभग 20000 टन स्वर्ण का उत्पादक कार्यों में इस्तेमाल करना एक भारत में सोने के आयात को कम करना है।
योजना :
इस योजना में कम से कम 30 ग्राम सोना जमा करना होगा। इस योजना के अंतर्गत अधिकतम सोने की मात्रा का निर्धारण नहीं किया गया है अर्थात जमाकर्ता 30 ग्राम से लेकर अपनी इच्छानुसार सोना जमा कर सकता है। जमा किये गये सोने के एवज में बैंक द्वारा ग्राहक को ब्याज दिया जायेगा। इस स्वर्ण जमा खाते पर वही नियम लागू होंगे जो सामान्यतः किसी जमा खाते पर होते हैं। इस सोने के एवज में मिलने वाले ब्याज पर कोई आयकर या पूंजीगत लाभ कर/ टैक्स नहीं लगेगा।
इस योजना के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित हैं ।
1: किसी भी मध्यावधि जमा (5-7 वर्ष) को तीन वर्ष के बाद निकासी की अनुमति दी जाएगी जबकि दीर्घकालिक अवधि के जमा (12-15 वर्ष) को पांच वर्ष के बाद निकासी की अनुमति दी जाएगी।
2: जमाकर्ता अपने सोने को संग्रह एवं शुद्धता जांच केंद्रों (CPTS) को देने के बजाय सीधे परिशोधक को भी दे सकते हैं। यह संस्थानों सहित थोक जमाकर्ताओं को योजना में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
3: सीपीटीएस/परिशोधक सोने की जांच करेंगे एवं इसकी शुद्धता का निर्धारण करेंगे जोकि जमा प्रमाणपत्र जारी किए जाने के लिए आधार होगा।
4: इस योजना के तहत संग्रहित सोने की मात्रा को एक ग्राम के तीन दशमलव तक (अर्थात १ मिलीग्राम तक) व्यक्त किया जाएगा जो ग्राहक को जमा किए गए सोने के लिए बेहतर मूल्य देगा।
5: सरकार इस योजना में भाग लेने वाले बैंकों को 2.5% कमीशन देगी जिसमें संग्रह और शुद्धता जांच केंद्र/रिफाइनर्स के लिए अदा किए जाने वाले शुल्क शामिल हैं।
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