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Vinod Sonkar
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राष्ट्रीय योजना

वन रैंक वन पेंशन (OROP) स्कीम

वन रैंक वन पेंशन (OROP) स्कीम

5 सितंबर, 2015 को एक ऐतिहासिक दिन था जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला किया – जी हां …इसी दिन एक रैंक वन पेंशन के कार्यान्वयन की घोषणा की गई । सशस्त्र बलों के अधिकारों की रक्षा के लिए लगभग 4 दशकों से हो रही देरी को इस एक निर्णय के जरिए खत्म किया गया ।

ओआरओपी की घोषणा नरेंद्र मोदी  ने पूर्व सैनिकों की जरूरतों को पूरा करने और उनकी पूर्ति करने के लिए की थी और अपने  सरकार की प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि थी। अपने संबोधन में तत्कालीन रक्षा मंत्री श्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि  “भारत सरकार अपने रक्षा बल और पूर्व सैनिकों को उनके वीरता, देशभक्ति और बलिदान के लिए सम्मान करती है। सरकार को  उनके कर्तव्य और बहादुरी के साथ साथ उनकी  देशभक्ति पर गर्व है । हमारी ताकतें इन सेनाओं से ही तो हैं….वे , राष्ट्र  को दुश्मनों  से  अपनी  बहादुरी से बचाने के अलावा, प्राकृतिक आपदाओं, कानून-व्यवस्था की स्थितियों और अन्य मुश्किल परिस्थितियों में साहस और बहादुरी के अनुकरणीय मानदंडों को प्रदर्शित करते हैं

आखिरकार वन रैंक वन पेंशन लागू करने की घोषणा विशेषज्ञों और पूर्व सैनिकों के साथ कई  दौर की चर्चाओं और परामर्श के बाद किया गया ।  नरेंद्र मोदी सरकार ने जो  कहा  उस पर सहमति भी व्यक्त की ।  सेवानिवृत्ति की तिथि के बावजूद, सशस्त्र सेना कर्मियों के लिए एक ही रैंक में उसी लम्बी सेवाअवधि  के साथ सेवानिवृत्त होने के लिए सबसे अच्छा और सबसे बेहतर  वन रैंक वन पेंशन  लागू किया गया है । भविष्य में वृद्धि का जहां तक सवाल है तो  पेंशन की दरों को स्वचालित रूप से पिछले पेंशनभोगियों के अनुरूप उसे भी पारित कर दिया जाएगा.. वर्तमान और पिछले पेंशनरों की आवधिक सामयिक अंतराल पर पेंशन की दर के बीच के अंतर को कम करने के लिए  भी महत्वपूर्ण कदम  सरकार ने उठाया है ।  सरकार की इसी  प्रतिबद्धता ने  सैनिकों को आश्वस्त करने में काफी मदद की है।

ओआरओपी के तहत, चार अर्ध-वार्षिक किश्तों में बकाया भुगतान करने के लिए एक निर्णय लिया गया था। युद्ध विधवाओं सहित सभी विधवाओं को एक किस्त में बकाया का भुगतान किया गया था। स्वैच्छिक रूप से रिटायर करने वाले कार्मिक को OROP योजना के तहत कवर नहीं किया जाएगा और पेंशन को हर 5 सालों में फिर से तय किया जाएगा।

योजना के कार्यान्वयन को 1 जुलाई, 2014 से लागू किया गया था क्योंकि सरकार ने मई 2014 में कार्यालय ग्रहण किया था और इसके तुरंत बाद योजना को कार्यान्वित करने के लिए  इसे आवश्यक समझा गया था । 40 से अधिक वर्षों  से किए  जा रहे मांगों को  पहले एक वादे  और फिर उसे पूरा करके  प्रधान मंत्री ने नागरिकों को राष्ट्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया।

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